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Friday 15 May 2015

क्वान्टम लाइफ़-स्टाइल फॉर योगा एण्ड स्ट्रेस मैनेज़मेन्ट

देश के जाने-माने कर्मयोगी न्यूरोलॉजिस्ट, डा.अशोक पनगड़िया के अनुसार संसार के सभी वैज्ञानिक सिर्फ एक बात पर सहमत है कि मस्तिकीय बदलाव ही मानव-जीवन को बदल पाएगा. ****हमलोग अच्छी तरह जानते है कि हमलोगों का सबसे बड़ा दुश्मन हमलोगों का अपना लालच (greed), अहंम (egoism)अहंमवादी (egoistic) ही है जो हमलोगो के मन-मस्तिष्क में हमेशा गूंजता रहता है जो रचनात्मकता के रास्ते मे एक बड़ा रोड़ा बन खड़ा रहता है. इससे हमलोग घुटन (suffocated) अनुभव करते रहते है. याद रहे विज्ञान के प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि ध्वनि' रचनात्मकता का एक आवश्यक तत्त्व है. अत: मनमोहक ध्वनि के विश्लेषण (anatomize) से प्राप्त एक विशिष्ट क्वान्टम स्टाइल (स्ट्राइप्स समूंह) का जन्म होता है जो अदृष्य मस्तिष्क को नियंत्रित करने के काम आ सकता है. पाठक वृन्द स्वयं ब्लॉग missionquantum.blogspot.com पर जाकर प्राप्त अनुभव हमारे साथ शेयर करें. प्रस्तुत क्वान्टम-स्टाइल (डिजाइन) की उपयोगिता वस्त्र डिविजन CIIE-IIM-A (अहमदाबाद) द्वार अनुमोदित है. *****इस सन्दर्भ में mission quantum mind के अनुसार मानव-मस्तिष्क का क्रिया-कलाप भी घड़ी मे लगे पेन्डूलम (दोलक) के अनुरूप है जो दो विपरित ध्रुवों के मध्य सरल आवर्त में अनवरत गतिमान (कम्पन) रहता है. यही ऊर्जा का भी वास्तविक एवं आन्तरिक गुण है. वैज्ञानिक स्वयं उसी ऊर्जा का अभिन्न अंग है जिसकी आन्त-रिक विचार-वृत्तियॉ दो विपरित ध्रुवों के मध्य विचरित करती रहती हैं. मनुष्य अपनी आन्तरिक विचार वृत्तियों के वनस्पति बाहरी-विचार-वृत्तियों को ज्यादा महत्त्व दिया करता हैं, (He distinguishes between inward and outward) यह वैज्ञानिक युग का एक दोष है ? इन दो विचार-वृत्तियों (inward & outward) के मध्य वैज्ञानिक नियमों के अनुरूप पारस्परिक सरल सम्बन्ध बनते रहना ही हर हालत में मनुष्यों के लिए लाभ दायक है जो क्रिया-प्रतिक्रिया द्वारा बनता रहता है. **भारतीय योग दर्शन भी कुछ ऐसा ही कहता है जिसके अनुसार- चेतना-पटल पर स्वयं की प्रकृति के कारण विभिन्न आवृत्ति, आयाम की उठती बाहरी विचार-तरंगें लगातार स्क्रीन पर चहल-कदमी करती रहती हैं. इन विचार-तरंगों को उनके अपने अनुपातिक कम्पन-विस्तार में निरोध (कैद) कर देने से वे अपनों के निजस्वरूप की आन्तरिक-तरंगों के साथ घुल-मिल जाती है. दोनों तरंगें मिलकर जब सरल आवर्त गति में कम्पन करने लगे व जिनसे मन को अपेच्छाकृत शान्ति की अनुभूति होने लगे तो उसे हम लोग योग कहते हैं, पतंजल के समाधि-पाद के दूसरे सूत्र मे भी ऐसा ही कुछ कहा गया है जैसे- योगाश्चित्तवृत्तिनिरोध: 1-(2) इस तरह बाहरी और आन्तरिक तरगो के मध्य अन्तरद्वन्द होने से संसार का कल्याण सम्भव नहीं दिखता वल्कि विध्वंश को आमन्त्रण देने जैसा है. पश्चिम इसका जीता-जागता उदाहरण है जबकि उन लोगों के प्रयास से ही इस अन्तर को भलिभॉति विज्ञान के माध्यम से समझा जा सका है. इसे समझने के लिए पहले प्रकृति की वास्तविकता को समझना होगा: पेन्डूलम के निचले छोर में लगे पिन्ड की पोटेन्सियल इनर्जी का उसके काइनेटिक इनर्जी मे लगातार ट्रांसफर होते रहना ही समरसता (harmony) के लिए आवश्यक है. यदि उसके पोटेंशियल इनर्जी -जैसे आवृत्ति या आयाम (कम्पन-विस्तार) में कोई बड़ा परिर्वतन कर दिया जाय तो पिन्ड का दोलन-पाथ अनिश्चित हो जाता है. इसे Lissajous figures द्वारा समझा जा सकता है. ठीक यही घटना मस्तिष्क के साथ भी घटती रहती है. मनुष्य का पोटेन्सियल इनर्जी उसके ज्ञान (knowledge level) अवेयरनेस (consciousness) तथा माइन्ड पैटर्न (संस्कार) का प्रतिफल होता है. यदि इसके पोटेन्सियल इनर्जी मे कोइ बदलाव (जैसे निजी स्वार्थ के साथ अहंमभाव जूड़ जाय) हो जाय, तो मस्तिष्क का दोलन-पाथ भी अनिश्चित हो जायेगा, फलस्वरूप सेन्ट्रल-नर्वस-सिस्टम द्वारा प्रायोजित परसेेप्टिव अपरेट्स घटना को मस्तिष्क वास्तविक रूप में ग्रहण करने मे समर्थ नही हो पाता, जिसके कारण वह सोचने-समझने व तत्कालिक निर्णय लेने में वह असमर्थ हो जाता है. मस्तिष्क के दोलन-पाथ मे एकरूपता लाने के लिए युक्तीपूर्ण पोटेन्सियल इनर्जी (स्वाभिमान) उसके काइनेटिक इनर्जी मे पूर्णरूपेण लगातार ट्रान्सफर होते रहने से मस्तिष्क के दोलन-पाथ मे एकरूपता बनी रहती है जिससे तत्कालिक निर्णय लेने मे व्यत्कि समर्थ हो जाता है. Quantum-Style (Design) सघन विचार के बाद ही प्रस्तुत किया जा रहा है. प्रकृति में किसी पिन्ड की समस्त ऊर्जा-पोटेंसियल और काइनेटिक इनर्जी का योग होता है. इसी तरह मनुष्य की भी-समस्त ऊर्जा पोटेंसियल और काइनेटिक इनर्जी का योग होगा. संगीत सम्पादन के समय असंख्य सरल आवर्त गति के दोलन जन्म लेते रहते है जो आपस में अध्यारोपण के फलस्वरूप एकाकी सरल आर्वत गतिमान मे परिवर्तित होकर समीच्छक (observer) के कानों तक पहुंचते रहते है जिनसे उसके अन्दर संगीत ध्वनि के श्रवण से प्रसन्नता का एहसास होता रहता है. प्रस्तुत स्ट्राइप्स समुंह (क्वान्टम स्टाइल) साउन्ड पैर्टन का अभासी चित्रण है जो ऊर्जा का संकुचन और उसका प्रसार एक के बाद एक का पुनरावृत्ति को दर्शाता है. संकुचन के बाद उसके प्रसार से निकली हुइ पोटेंसियल इनर्जी काइनेटिक इनर्जी मे लगातार ट्रांसफर होते रहने के कारण लेयर पैटर्न आगे बढता रहता है जो observer के कानों तक पहुंचता रहता है. यही लेयर हमलोगों के कर्ण-पटल पर बार-बार अपने शक्ती के अनुरूप टक्कर देते रहते है जिन्हे लिम्बिक-सिस्टम के न्युरॉन्स सोख (absorb) कर न्यूरल-पाथ के माध्यम से सिग्नल को मस्तिष्क तक पहुंचाते रहते हैं जिन्हे मस्तिष्क ट्रांसलेट करता रहता है प्रस्तुत स्ट्राइप्स समुंह (क्वान्टम-स्टाइल डिजाइन) बार-कोड के अनुरूप है, इनमें भी बार-कोड अनुरूप भारतीय क्लासिकल संगीत की मनमोहक उर्जा अंत:स्थापित (embeded) है. बाहरी विचार तरंगों को आन्तरिक तरंगे अपने संगत मे आंख की मध्यस्थता से खींच लाती है ?. इस तथ्य को सभी स्वयं मिलते-जूलते डिजाइन पर अजमा सकते हैं. अत: दो विचारधाराओं (पश्चिम और पूरब) के मध्य क्रिया-प्रतिक्रिया मे सन्तुलन एवं समन्यवय आंख के माध्यम से ही मानसिक विकृतियों पर विजय प्राप्त करने की कोशिस की जा सकती है. आवश्यक सूचना: जो कोई इसे टेस्ट करना चाहता है, बाजार से मिलते-जूलते स्ट्राइप्ड डिजाइन के कपड़े पर सत्यता की जांचकर सकता है. याद रखें बाजार में मिलने वाले कलर्ड स्ट्राइप्ड डिजाइन समानुपातिक नही होते हैं, फिर भी, कुछ असर अवश्य दिखेगा, Readers, too can promote it by writing their views about this mind friendly Quantum-Style (Design) recognised pragmatically by Vastra Division of CIIE-IIM-A based on Indian Classi -cal Music. प्राप्त अनुभव e-mail पर अवश्य शेयर करें. mission.quantum@gmail.com क्वान्टम लाइफ स्टाइल फॉर योग एण्ड स्ट्रेस मैनेजमेन्ट.

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